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आल्हा ऊदल / भाग 26 / भोजपुरी

पलटन चल गैल रुदल के मँडवा में गैल समाय
बैठल दादा है सोनवा के मँड़वा में बैठल बाय
बूढ़ा मदन सिंह नाम धराय
प्रक बेर गरजे मँडवा में जिन्ह के दलके दसो दुआर
बोलल राजा बूढ़ा मदन सिंह सारे रुदल सुनव बात हमार
कत बड़ सेखी है बघ रुदल के मोर नतनी से करै बियाह
पड़ल लड़ाइ है मँड़वा में जहवाँ पड़ल कचौंधी मार
नौ मन बुकवा उड़ मँड़वा में जहवाँ पड़ल चैलिअन मार
ईटाँ बरसत बा मँड़वा में रुदल मन में करे गुनान
आधा पलटन कट गैल बघ रुदल के सोना के कलसा बूड़ल माँड़ों में
धींचे दोहाइ जब देबी के देबी माँता लागू सहाय
घैंचल तेगा है बघ रुदल बूढ़ा मदन सिंह के मारल बनाय
सिरवा कट गैल बूढ़ा मदन सिंह के
हाथ जोड़ के समदेवा बोलल बबुआ रुदल के बलि जाओं
कर लव बिअहवा तूँ सोनवा के नौ सै पण्डित लेल बोलाय
अधी रात के अम्मल में दुलहा के लेल बोलाय
लै बैठावल जब सोनवा के आल्हा के करै बियाह
कैल बिअहवा ओह सोनवा के बरिअरिया सादी कैल बनाय
नौ सै कैदी बाँधल ओहि माँड़ों में सभ के बेड़ी देल कटवाय
जुग जुग जीअ बाबू रुदल तोहर अमर बजे तरवार
डोला निकालल जब सोनवा के मोहबा के लेल तकाय
रातिक दिनवाँ का चलला में मोहबा में पहुँचल जाथ