भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आल्हा ऊदल / भाग 25 / भोजपुरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घैचल तेगा राजा इंदरमन सोनवा पर देल चलाय
जौं तक मारल इंदरमन के सिरवा दुइ खण्ड होय जाय
लोधिन गिरे इंदरमन के सोनवा जीव जे गैल पराय
तब ललकारे रुदल बोलल भैया सुनीं हमार एक बात
पलटन चल गैल बघ रुदल के गंगा तीर पहुँचल बाय
डुबकी मारे गंगा में जेह दिन गंगा तीर पहुँचल बाय
डुबकी मारे गंगा में जेह दिन गंगा करे असनान
चलल जे पलटन फिर ओजनी से नेना गढ़ पहुँचल बाय
हाथ जोड़ के रुदल बोलल बाबू समदेवा के बलि जाओं
कर दव बिअहवा सोनवा के काहे बड़ैबव राड़
एतनी बोली समदेवा सुन के राजा बड़ मंगन होय जाय
तूँ सोनवा के कर जव बिअहवा काहे बैढ़बव राड़
एतनी बोली रुदल सुन के बड़ मंगन होय जाय
सुनीं बारता समदेवा के
काँचे महुअवा कटवावे छवे हरिअरी बाँस
तेगा के माँड़ो छ्ँवौले बा
नौ सै पण्डित के बोलावाल मँड़वा में देल बैठाय
सोना के कलसा बैठौले बा मँड़वा में
पीठ काठ के पीढ़ा बनावे मँडवा के बीच मझार
जाँघ काट के हरिस बनावे मँड़वा के बीच मझार
मूँड़ी काट के दिया बरावे मँड़वा के बीच मझार