कैंड़ा लागल है देहन माँ दुइ डण्ड खेलौं बनाय
बावन गज के धोती बाँधे उलटी चरना लेल लगाय
बावन कोठी के कोठवार देहन में लेल लगाय
पलहथ रोपल अखड़ा में रुदल डण्ड कैल नौ लाख
मूँदल भाँजे मन बाइस के साढ़े सत्तर मन के डील
तीस मन के नेजम है रुदल तूर कैल मैदान
ताल जे मारे फुलवारी में महराजा सुनीं मोर बात
फुलवा झरि गेल फुलवारी के बन में गाछ गिरल भहराय
जल के मछरी बरही होय गैल डाँटें कान बहिर होय जाय
बसहा चढि सिब जी भगले देबी रोए मोती के लोर
कहाँ के राजा एत बरिया है मोर फुलवारी कैल उजार
सुने पैहें रजा इन्दरमन हमरो चमड़ी लिहें खिंचाय
सतौ बहिनियाँ देबी इन्द्रासन सें चलली बनाय
घड़ी अढ़ाइ का अन्तर में पहुँचली जाय
रुदल सूरत फुलवारी में जहवाँ देबी जुमली बनाय
देखल सूरत रुदल के देबी मन मन करे गुनान
बड़ा सूरत के ई लरिका है जिन्ह के नैनन बरै इँजोर
पड़िहें समना इन्दरमन का इन्ह के काट करी मैदान
नींद टूट गैल बघ रुदल के रुदल चितवै चारों ओर
हाथ जोड़ के रुदल बोलल देबी सुनीं बात हमार
बावन छागर के भोग देइ भैंसा पूर पचास