मेरे कंधे पर
कोई चेहरा नहीं है इस वक़्त
नहीं है मेरे कनपटी को छूती हुई
कोई गर्म साँस
हाथ नहीं है कोई मेरी पीठ पर इस वक़्त
इस वक़्त मेरी परेशानी से परेशान नहीं है कोई।
मेरे बारे में
कोई कुछ भी नहीं सोच रहा है इस वक़्त
इस वक़्त पूरी दुनिया में
कहीं नहीं हूँ मैं।
रचनाकाल : 1992, अयोध्या