इस सफ़र में
बहुत भरमे
धुंध छाई
शहर भर में
शाम लेटी है
सहर में
इक बयाबाँ
ऎ'न घर में
क्या कहें
छोटी बहर में !
(रचनाकाल : 2001)
इस सफ़र में
बहुत भरमे
धुंध छाई
शहर भर में
शाम लेटी है
सहर में
इक बयाबाँ
ऎ'न घर में
क्या कहें
छोटी बहर में !
(रचनाकाल : 2001)