सागर की
अतल जल राशि
बीचों-बीच डूबता हुआ
और मेरा मन
कहीं डूबता हुआ
पल भर पहले तक
लगा
निराश सूरज
अपनी आत्म-हत्या पर
शायद उतारू है,
लेकिन नहीं
उसके इर्द-गिर्द के
लल्छौहीं घेरे ने
मेरे सोच को रोक दिया-
...और आत्म-ह्त्या
करने वाला सूरज
अब विहंस रहा है,
क्योंकि उसे पता है
कि वह तो कल उगेगा ही
लेकिन मेरे डूबते मन को
फिर कल उगाने की
शक्ति देने के लिए
क्या है,
तभी लगा
अपनी उत्ताल तरंगे लिए
मेरे चरणों में
सागर लेता हुआ है।