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उत्सवपूर्ण समय / ब्रजेश कृष्ण

सब कुछ एक दृश्य भर है उनके लिए
और हमें मार देने के हर समय
जायज़ कारण हैं उनके पास

मन्दी की वजह से निकाला गया मजूर
महँगाई से जूझ रहा है
ये ऐसी उलटबांसी है कि जिसका जवाब
उनकी किताबों में पहले ही दर्ज़ है

यह तेज़ी से बढ़ते हुए देश का
उत्सवपूर्ण समय है
नाच गाने और हँसने की रंगभूमि
कि हमें पता ही नहीं लगता
और प्रहसन में तब्दील हो जाते हैं हमारे दारुण दुख

अरे! आप तो बेचैन हो गये
चलो पार्क में चलें
लम्बी साँसें लें
और मिल कर हँसें
हा हा हा।