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ऊधो मधुपुर का बासी / हनुमानप्रसाद पोद्दार

ऊधो मधुपुर का बासी।
हाँरो बिछड़्‌यो स्याम मिलाय, बिरहकी काट कठण फाँसी॥
स्याम बिन चैन नहीं आवै।
हाँरो जबसे बिछड़्‌यो स्याम, हीवड़ो उझल्यो ही आवै॥
छाय रही याकुलता भारी।
हाँरे स्याम बिरहमें आज, नैनसैं रह्यौ नीर जारी॥
स्याम बिनु ब्रज सूनो लागै।
सूनी कुंज, तीर जमुनाको, सब सूनो लागै॥
गोठ-बन स्याम बिना सूनो।
हाँरे एक-‌एक पल जुग सम बीतै, बिरह बढ़ै दूनो॥
ऊधौ ! अरज सुणो हाँरी।
थाँरो गुण नहिं भूलाँ कदे, मिलाद्यौ मोहन बनवारी॥