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पद-रत्नाकर / भाग- 2 / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
पद
- देखी आजु अनोखी बात / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- यमुना-तट-संनिकट कुंज में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- माधुरी मुरली अधर धरें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बजावत मुरली स्याम सुजान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बजाऔ मति मुरली, घनस्याम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मुरलिया! मत बाजै अब और / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ग्वालिन मुरली-धुनि सुनि अटकी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सुनि मधु मुनि-मन-मोहनि मुरली / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम ने मुरली मधुर बजाई / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मुरलिया बाजी रे बाजी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मधुर मुरलि कर, मोर-मुकुट सिर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम-दरस-परसन की प्यासी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- थीं वे विकसित-शारदीय-मल्लिका-सुमन-शोभित रजनी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तुम लोगों से हुआ, न होगा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- परम प्रेममयी श्रीराधा-गोपीजन सब काययूह / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- उदय हुए जब श्रीवृन्दावन-चन्द्र / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कुसुमित कुंज कल्पतरु-कानन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- रुचिर तपन-तनया-तट, / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मंद-मंद मुसकावत आवत / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निरखि मुखचंद तुहारौ नाथ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधा! हम-तुम दोउ अभिन्न / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- करत निज कर प्रीतम श्रृंगार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- थके पर छके न रस-प्यासे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तत्सुख-सुखी त्यागमय अनुपम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रिया-प्रीतम दोउ करत किलोल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कानन नव निकुंज अति सोहनि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हँसि-हँसि झूलत ड्डूल-हिंडोरें / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- झूलत ड्डूल हिंडोरे स्याम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हिंडोरें झूलत स्यामा-स्याम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- झुलावत निज कर नंद-किसोर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- झुलावति स्यामा स्याम-कुमार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- झूलत अभिराम स्याम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- झूलत कुंजनि प्रेम हिंडोरैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- झूलत हरित कुंज पिय-प्यारी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- झूलत सघन कुंज पिय-प्यारी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- भीजत रीझत दोऊ आवत / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- आश्विन मास, शरद ऋतु शोभन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य मधुर ब्रज-धाम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- खेलत सुन्दर स्याम सखिन सँग ब्रज रस-होरी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- खेलत स्यामा-स्याम ललित ब्रज में रस-होरी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- होरी में गए हार सकल खल-दल-संहारी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- याद पड़ रहा है-आये थे भोजन करने मोहन श्याम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- लता-वल्लरी रही प्रफुल्लित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कहाँ गये तुम, कहाँ छिपे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बिरहातुर, अति कातर, सब जग भूलि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अति एकान्त, बिकल बैठी थी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- देखा स्वप्न राधिका ने / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- विषम बिछुडऩे की बेला में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- माधव! हौं तुहरे सँग जैहौं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी री! मो सम कौन कठोर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम बिनु छिनहूँ नाहिं सरै / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम-घन कब बरसैगौ आय / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बज्र सम मेरौ हियौ कठोर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तिहारौ बिरह दुःख-सुख-रूप / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अहो हरि! मो प्राननि के प्रान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम मोहिं तुम बिन कछु न सुहाय / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम! अब मत तरसाओ जी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- माधव! करौ बचन निज याद / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रानधन सुंदर स्याम सुजान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी! मोय कारौ नाग डस्यौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- परत मन छिन नैकहु नहिं चैन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बिरह-दुख सजनी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- झूर रहे दृग रूप-दरस कौं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- एक-एक पल बना युगों-सा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- दिन नहिं चैन, रैन नहिं निद्रा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- गये श्यामसुन्दर जब मथुरा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मधुपुरी गवन करत जीवन-धन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जब ते हरि मधुपुरी सिधाये / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ब्रज की सुरत मोहिं बहु आवै / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ऊधौ! बिसरत नहिं मनभावनि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ब्रज-बनितनि की महिमा न्यारी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ब्रज-बनिता नहिं मो तैं न्यारी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधा की सुधि करत कन्हाई / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ऊधौ! निठुर मो सम कौन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्राणेश्वरि! जबसे मैं आया हूँ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मत समझना तुम कभी यह, / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- हे राधे! उस दिन जिस क्षणसे तुझसे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधे! तुम जो अनुभव करती / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ऊधौ! तुम ते कहौं का गोपी-प्रेम-महव / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मुझसे करके प्रेम, चाहता जो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- माधव-सखा मनीषी उद्धव सहज / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ऊधौ! स्याम बड़े ही धूत / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ऊधौ! कहा सिखावौ जोग / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ऊधौ! मोहन स्याम हमारे। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ऊधौ! हम क्यौं स्याम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ऊधौ! प्रिय तें कहियो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ऊधौ! तुम तो बड़े बिरागी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम तव मूरति हृदय / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ऊधौ! सो मनमोहन रूप / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ऊधो मधुपुर का बासी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ऊधौ! तुहरे नैन अधूरे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ऊधौ! मो मैं नैकु न नेह / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- उद्धव! तुम मुझको किसका यह / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- ऊधौ! सोई प्रीति अनन्य / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- उद्धव! राधा-सी अभागिनी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- उद्धव! मुझमें तनिक नहीं है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधे! क्या संदेश सुनाएँ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- उद्धव! सत्य सुनाया तुमने / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कहने लगे राधिका से फिर कर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- माधव दशा सुनाऊँ कैसे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्यारे कान्ह सखा की मीठी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम! तुम परम निठुर हम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तुम सम निठुर दूजौ कौन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मैं छोड़, प्रिये! तुमको, मथुरा में आया / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जबसे सुना सुधामय सुन्दर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- चित्रपट देखत भूली भान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रीमती मूरति अंकित करती। / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कृष्ण-सुखैक-वासना केवल / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्वर्ण-पिंजर-स्थित मगन मन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- राधिका आई कुंज-बिहार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम पाकर निकुंज-संकेत / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी ने आकर बात कही / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम आ पहुँचे तुरत निकुंज / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम-सरोज-बदन सुचि सुन्दर नयन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कृष्ण-प्रिया राधा-चरन चिपकी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्यारी-पग काँटौ चुयौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कदँब-बृच्छ-छाया सुखद राजत / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- लै मुरली प्रिय छिप गए / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- विरह-व्यथा-पीडित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मलयज पवन, उल्लसित पुलकित लता-गुल्म / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- विरहाकुल अति व्यथित-हृदय है / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी! वह कैसौ मीठौ सपनौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नियत समयपर पहुँच न पायी मैं संकेत-स्थान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- जग रही थी रात भर सुधिहीन मैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी! न कोई और जगत् में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नाथ! अब मो पै कृपा करौ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मधुर मनोहर नील-श्याम-तन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बैठी राधा थीं यमुना-तट / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नित्य उन्होंने चाहा मुझको / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रियतम-भामिनि, मधुमय जामिनि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- एक दिना मिलि प्यारी-प्रीतम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- खड़े हुए थे लिये सहारा तरुका / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- उस कैतवके लिये कर रही / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखि! सुख-दान करो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मग जोहति मन व्यथित भामिनी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- आय दूती ने बात कही / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- निरखि न्यौछावर प्रानपिरयारे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- साँझ लौं रह्यौ कैसैं जाय / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- अनुपम मोरें मन अभिलास / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी! यह कैसी भूल भई / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कान्ह बर धर्यौ बिनोदिनि रूप / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मेरे हे जीवन-जीवन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्राण-प्राण! हे प्राणनाथ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तुम बिनु बीतत छिन-छिन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- कोटि-कोटि कंदर्प-दर्पहर हैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- श्रीमती! छमा करौ, तजि मान / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- तुम कुछ भी कहो भले / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम-मन उमग्यौ आनँद-सिंधु / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मो ते भर्ईं चूक अन-गिनती राधे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नहीं तुहारा अन्तर देखा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम बतावत प्रेम-मूर्ति मोहि / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- स्याम-स्यामा दोउ करत बिहार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नव-निकुंज सुख-पुंज बिराजित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मुरली ली, प्रिय छिप गये / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- बच रहे थे दो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- महामहिम मुनि-मनहर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- खड़ा यह कौन कुंजके द्वार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रिय-बियोगमें अबिरत स्मृति / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सूखकर काँटा हुआ तन था / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- समझ रही मैं लाभ / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मेरे इस प्रणको सुन लो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- सखी! मैं भई अति असहाय / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- मधुर-मधुर, सुन्दर-सुन्दर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- प्रानप्रिय मथुरा जाय बसे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- औचक चौंकि उठे हरि बिलखत / हनुमानप्रसाद पोद्दार
- नव-निकुज में कृष्ण प्रेष्ठस्न्तम / हनुमानप्रसाद पोद्दार