एक ही परम प्रभु पाँच उपास्य रूपों में
(राग गुनकली-ताल मूल)
एक परम प्रभु चिदानन्दघन परम तव हैं सर्वाधार।
सर्वातीत, सर्वगत वे ही अखिल विश्वमय रूप अपार॥
हरि, हर, भानु, शक्ति, गणपति हैं इनके पाँच स्वरूप उदार।
मान उपास्य उन्हें भजते जन भक्त स्वरुचि-श्रद्धा-अनुसार॥