पतझड़ की एक बदहवास दुपहरिया में
मेरा समुंदर कहीं खो गया
मैं प्यासा न भी था
तो अब हो गया
पता नहीं
मौसम की यह बदहवासी
अब किधर जाएगी
किस मासूम प्यार पर
अपना दोपहर बरसाएगी
पतझड़ की एक बदहवास दुपहरिया में
मेरा समुंदर कहीं खो गया
मैं प्यासा न भी था
तो अब हो गया
पता नहीं
मौसम की यह बदहवासी
अब किधर जाएगी
किस मासूम प्यार पर
अपना दोपहर बरसाएगी