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ऐंठूराम / प्रेमशंकर रघुवंशी

अपने को ही ख़ुदा समझता ऐंठूराम
अपनी ही परकम्मा करता ऐंठूराम !

आश्रय दो तो हक्क जमाए ऐंठूराम
करो भरोसा घात लगाए ऐंठूराम !

प्यार करे तो दगा करे है ऐंठूराम
समझाओ तो मूरख समझे ऐंठूराम !

दुख में दर-दर नाक रगड़ता ऐंठूराम
सुख में सबकी नाक काटता ऐंठूराम !

आदर दो तो धता बताए ऐंठूराम
करो क्षमा तो निर्बल समझे ऐंठूराम !

दिल-दिमाग दोनों से खारिज ऐंठूराम
दुनिया भर को मूरख समझे ऐंठूराम !

अपने ही मुँह मिट्ठू बनता ऐंठूराम
गरज पड़े तो घुटने टेके ऐंठूराम !

माँ को माँ कहने से झिझके ऐंठूराम
बापों का भी बाप बने है ऐंठूराम !

उस्तादों को लात मारता ऐंठूराम
मक्कारों की लात चूमता ऐंठूराम !