यह मेरी व्याकुल आत्मा का संगीत है
सच-झूठ से परे
प्राणों से निचुड़ती भाषा।
इसे झूठ मानोगे तो भटक जाओगे
सच समझोगे तो बहक जाओगे
पर क्या करे कोई ?
बहकने और भटकने के सिवा
और है भी क्या
जीवन में!
यह मेरी व्याकुल आत्मा का संगीत है
सच-झूठ से परे
प्राणों से निचुड़ती भाषा।
इसे झूठ मानोगे तो भटक जाओगे
सच समझोगे तो बहक जाओगे
पर क्या करे कोई ?
बहकने और भटकने के सिवा
और है भी क्या
जीवन में!