Last modified on 21 मई 2018, at 10:24

कजली / 14 / प्रेमघन

ठाह की लय में

"तोह के सोहै हमरौ सुन्दरी कुसुम कै चुनरो" की चाल

सैयाँ सौतिन के घर छाए, सूनी सेजिया न सोहाय॥
गरजैबरसै रे बदरवा, मोरा जियरा डरपाय।
बोलै पापी रे पपीहा, पीया! पीया रट लाय॥
बरजे माने ना जोबनवाँ; दीनी अंगिया दरकाय।
पिया प्रेमघन बेगि बुलावो अब दुख नाहीं सहि जाय॥30॥