Last modified on 29 अक्टूबर 2016, at 12:19

कमलासन-‌आसीन देवि ‘श्री’/ हनुमानप्रसाद पोद्दार

(राग बिहाग-ताल त्रिताल)
कमलासन-‌आसीन देवि ‘श्री’ अद्‌‌भुत श्री-सुषमासे युक्त।
 पद्म-चक्र-वर-‌अभय चतुर्भुज दिव्य भूषणोंसे संयुक्त॥
 सुमन-माल गल, रत्न-मुकुट सिर, सकल विभूति विश्वकी टेक।
 चारु स्वर्ण कलशों से करिवर चार कर रहे शुभ अभिषेक॥