(राग बिहाग-ताल त्रिताल)
कमलासन-आसीन देवि ‘श्री’ अद्भुत श्री-सुषमासे युक्त।
पद्म-चक्र-वर-अभय चतुर्भुज दिव्य भूषणोंसे संयुक्त॥
सुमन-माल गल, रत्न-मुकुट सिर, सकल विभूति विश्वकी टेक।
चारु स्वर्ण कलशों से करिवर चार कर रहे शुभ अभिषेक॥
(राग बिहाग-ताल त्रिताल)
कमलासन-आसीन देवि ‘श्री’ अद्भुत श्री-सुषमासे युक्त।
पद्म-चक्र-वर-अभय चतुर्भुज दिव्य भूषणोंसे संयुक्त॥
सुमन-माल गल, रत्न-मुकुट सिर, सकल विभूति विश्वकी टेक।
चारु स्वर्ण कलशों से करिवर चार कर रहे शुभ अभिषेक॥