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कहा करूँ मोरी आली / कांतिमोहन 'सोज़'

घिर-घिर आई बदरिया कारी
कहा करूँ मोरी आली!

ता-ता थैया करे पुरबैया
थिरकत डाली-डाली
करी बदरिया कारी कोयलिया
कुहुक रही मतवाली !
कहा करूँ मोरी आली ।।
घिर-घिर आई बदरिया कारी
कहा करूँ मोरी आली ।।

बाहर-बाहर सोर मचत है
भीतर-भीतर खाली
पपिहा ताने दादुर पूरे
गावत ताल-बेताली
कहा करूँ मोरी आली !

घिर-घिर आई बदरिया कारी
कहा करूँ मोरी आली ।।