(राग पीलू-ताल कहरवा)
कालीसे गोरी हुई तजकर काली-चाम।
त्वसे प्रकटी कौशिकी शक्ति-शौर्य-बल धाम॥
आ पहुँची देवी तुरत गौरी शिवके पास।
छायी परम प्रसन्नता शिव-मन परमोल्लास॥
गौरीका शिवने किया निज कर शुचि श्रृंगार।
लगा रहे अब भालपर बेंदी भव-भर्तार॥