कुर्ते की जेबें खाली हैं, औ’ फटा हुआ है पाजामा
इनको न भिखारी समझो तुम, ये करने निकले हंगामा
धक्के-मुक्के, गाली-गुस्सा, खा-पीकर इतने बड़े हुए
फुसला न सकोगे इनको तुम, दिखला करके चंदामामा
दिल्ली वाले बाजीगर जी! अब जाग उठा है शेषनाग
भागो, छोड़ो यह बीन-शीन, यह टोपी-बालों का ड्रामा