कृष्णदास
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जन्म | 1495 अनुमानित |
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निधन | 1581 अनुमानित |
जन्म स्थान | तिलोतरा, राजनगर, गुजरात |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
इनके लगभग 250 पद प्राप्त हैं। | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
कृष्ण / परिचय |
प्रतिनिधि रचनाएँ
- बैद को बैद गुनी को गुनी / कृष्णदास
- मो मन गिरिधर छबि पै अटक्यो / कृष्णदास
- देख जिऊँ माई नयन रँगीलो / कृष्णदास
- तरनि तनया तट आवत है / कृष्णदास
- कंचन मनि मरकत रस ओपी / कृष्णदास
- प्रातकाल प्यारेलाल आवनी बनी / कृष्णदास
- गोकुल गाम सुहावनो सब मिलि खेलें फाग / कृष्णदास
- सघन कुंज भवन आज फूलन की मंडली रचि / कृष्णदास
- नंद घरुनि वृषभान घरुनि मिलि / कृष्णदास
- रंगीली तीज गनगौर आज चलो भामिनी / कृष्णदास
- नवल निकुंज महेल मंदिर में / कृष्णदास
- कहत जसोदा सब सखियन सों / कृष्णदास
- लाल गोपाल गुलाल हमारी आँखिन में जिन डारो जू / कृष्णदास
- खेलत वसंत निस पिय संग जागी / कृष्णदास
- आज कछु देखियत ओर ही बानक / कृष्णदास
- तरणि तनया तीर आवत हें प्रात समे / कृष्णदास
- लीला लाल गोवर्धनधर की / कृष्णदास
- परम कृपाल श्री वल्लभ नंदन / कृष्णदास
- फल्यो जन भाग्य / कृष्णदास
- नवल वसंत नवल वृंदावन / कृष्णदास
- श्री गिरिधर लाल की बानिक ऊपर / कृष्णदास
- शरण प्रतिपाल गोपाल रति वर्धिनी / कृष्णदास
अष्टछाप | ||
महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी एवं उनके पुत्र श्री विट्ठलनाथ जी द्वारा संस्थापित 8 भक्तिकालीन कवि, जिन्होंने अपने विभिन्न पदों एवं कीर्तनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का गुणगान किया। और अधिक जानें... | ||
अष्टछाप के कवि: सूरदास । नंददास । परमानंददास । कुम्भनदास । चतुर्भुजदास । छीतस्वामी । गोविन्दस्वामी |