क्षितिज छोर से नेउत रहल हे
तोहरा आज समइया
तोरा.... आहऽ हउ तोरे मइया
उगलइ टुहटुह लाल किरिनियाँ
चहकऽ लगल चिरइयाँ
घात लगइले घुसऽ लगलों
देखऽ जुल्मी कइयाँ
चुटिया धर-धर बाहर फेंकऽ
वर्तमान सूचक हे भइया
कइसन आगू आवत
सुख नेउतत कि दुख के बोलवत
तांडव महा मचइतइ सगरो
हड़पत हमर कमइया
ईसे जागऽ सब सपूत मिल
खोजऽ सही उपइया
मइया इज्जत सबसे बड़गर
न´ कि गोल रुपइया
सही सलामत रहल तऽ ऊहे
खेवत झंझरी नइया।