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फटिकसिला मृदु बिसाल, सङ्कुल सुरतरु-तमाल
ललित लता-जाल हरति छबि बितानकी |
मन्दाकिनि-तटिनि-तीर, मञ्जुल मृग-बिहग-भीर
धीर मुनिगिरा गभीर सामगानकी ||
मधुकर-पिक-बरहि मुखर, सुन्दर गिरि निरझर झर,
जल-कन घन-छाँह, छन प्रभा न भानकी |
सब ऋतु ऋतुपति प्रभाउ, सन्तत बहै त्रिबिध बाउ,
जनु बिहार-बाटिका नृप पञ्च बानकी ||
बिरचित तहँ परनसाल, अति बिचित्र लषनलाल,
निवसत जहँ नित कृपालु राम-जानकी |
निजकर राजीवनयन पल्लव-दल-रचित सयन,
प्यास परसपर पीयूष प्रेम-पानकी ||
सिय अँग लिखैं धातुराग, सुमननि भूषन-बिभाग,
तिलक-करनि का कहौं कलानिधानकी |
माधुरी-बिलास-हास, गावत जस तुलसिदास,
बसति हृदय जोरी प्रिय परम प्रानकी ||