गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 36 से 50/पृष्ठ 10
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लोने लाल लषन, सलोने राम, लोनी सिय,
चारु चित्रकूट बैठे सुरतरु-तर हैं |
गोरे-साँवरे सरीर पीत नीलनीरज-से
प्रेम-रुप-सुखमाके मनसिज-सर हैं ||
लोने नख-सिख, निरुपम, निरखन जोग,
बड़े उर कन्धर बिसाल भुज बर हैं |
लोने लोने लोचन, जटनिके मुकुट लोने,
लोने बदननि जीते कोटि सुधाकर हैं ||
लोने लोने धनुष, बिसिष कर-कमलनि,
लोने मुनिपट, कटि लोने सरघर हैं |
प्रिया प्रिय बन्धुको दिखावत बिटप, बेलि,
मञ्जु कुञ्ज, सिलातल, दल, फूल, फर हैं ||
ऋषिनके आश्रम सराहैं, मृग-नाम कहैं,
लागी मधु, सरित झरत निरझर हैं |
नाचत बरहि नीके, गावत मधुप-पिक,
बोलत बिहङ्ग, नभ-जल-थल-चर हैं ||
प्रभुहि बिलोकि मुनिगन पुलके कहत
भूरिभाग भये सब नीच नारि-नर हैं |
तुलसी सो सुख-लाहु लूटत किरात-कोल
जाको सिसकत सुर बिधि-हरि-हर हैं ||