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रागगौरी
करत राउ मनमों अनुमान |
सोक-बिकल, मुख बचन न आवै, बिछुरै कृपानिधान ||
राज देन कहि बोलि नारि-बस मैं जो कह्यो बन जान |
आयसु सिर धरि चले हरषि हिय कानन भवन समान ||
ऐसे सुतके बिरह-अवधि लौं जौ राखौं यह प्रान |
तौ मिटि जाइ प्रीतिकी परमिति, अजस सुनौं निज कान ||
राम गए अजहूँ हौं जीवत, समुझत हिय अकुलान |
तुलसिदास तनु तजि रघुपति हित कियो प्रेम परवान ||