Last modified on 29 अक्टूबर 2016, at 21:37

गौरारुण शुभ वर्ण मुकुट / हनुमानप्रसाद पोद्दार

(राग काफी-ताल मूल)

गौरारुण शुभ वर्ण मुकुट सिर रत्न विराजित।
 नील वसन, गल रत्न-कुञ्सुम हारावलि राजित॥
 शूल-बाण-धनु-परशु हस्त, भुजबन्ध सुराजित।
 कटि काञ्ची, सुच्ञ्णित रणित पग नूपुर भ्राजित॥
 तेज-पुंज तन, तीन नेत्र उज्ज्वल सुषमा मय।
 हर-प्रिया हिम-गिरि-वासिनी मा गौरी ! जय जय॥