उगते सूरज की तरफ़
मुँह किए खड़ा
तो अस्ताचल तक लम्बी हो गई छाँव
दोपहर तक
मेरे ही पाँवों के नीचे
आ बैठी सिमटकर
अब अस्ताचल की तरफ़
मुँह किये खड़ा हूँ
तो सूर्योदय के क्षितिजों तक
लम्बी हो गई ज़िन्दगी !!
उगते सूरज की तरफ़
मुँह किए खड़ा
तो अस्ताचल तक लम्बी हो गई छाँव
दोपहर तक
मेरे ही पाँवों के नीचे
आ बैठी सिमटकर
अब अस्ताचल की तरफ़
मुँह किये खड़ा हूँ
तो सूर्योदय के क्षितिजों तक
लम्बी हो गई ज़िन्दगी !!