काल और गुरुत्वाकर्षण पर
यही होगी मेरी चरम विजय
कि चली जाऊँ यहाँ से
पाँवों का एक भी निशान छोड़े बिना ।
या नहीं-नहीं कहते कह डालूँ -- हाँ
या ग़ायब हो जाऊँ दर्पणों से
जिस तरह ग़ायब हो गए थे ल्येरमन्तफ़
कॉकेशिया के पहाड़ों में
चट्टानों को तनिक भी परेशान किए बिना ।
या सबसे अच्छा शगल यह होगा
कि सेवस्तियान बाख़ की अँगुलियों से
छूकर देखूँ ऑर्गन की ध्वनियों को,
या बिखर जाऊँ इधर-उधर
अस्थिकलश में अपनी अस्थियाँ छोड़े बिना ।
या धोखा देकर ले लूँ
जो कुछ लेना है मुझे,
या निकल जाऊँ बाहर
हर तरह की विराटताओं से ।
या छिप जाऊँ
काल के महासागर में
जलकणों को उद्वेलित किए बिना ।