Last modified on 28 जुलाई 2012, at 17:33

छोटी खिड़की / उमाशंकर चौधरी

जबकि इस बड़े शहर में
बड़े-बड़े घर हैं और
इन बड़े-बड़े घरों में हैं बड़ी-बड़ी खिड़कियाँ, तब
उसके हिस्से इस छोटे से घर में
छोटी खिड़की आई है ।
छोटी खिड़की,
जिससे दिखता है छोटा आसमान
चंद तारे और बादल का एक टुकड़ा ।

वह औरत उस छोटी खिड़की से
देखती है गली में, उस सब्जी वाले को
देती है आवाज़ गली में खेलते अपने बच्चों को
और करती है इन्तज़ार काम पर से
अपने पति के लौटने का ।

छोटी खिड़की कभी बंद नहीं होती ।