जन्मोच्छव राधिका कुँवारि कौ कीरति गीत गवाए जू।
मंगलचार कराए बहु बिधि, घंटा-संख बजाए जू॥
भाँति-भाँति के असन-बसन-भूषन बहुमोल मँगाए जू।
बिप्रन्हि न्यौति, जिमाय भली बिधि, तिनकौं दान कराए जू॥
नंद जसोदा-रोहिनि दाऊ-कान्हा सँग लै आए जू।
गोपी-गोप-सहित सब कै मन अति आनंद भराए जू॥
स्वागत करि, वृषभानु नृपति नैं सादर घर पधराए जू।
कीरति कान्हहि, जसुमति कुँवारिहि लै निज गोद खिलाए जू।
मोद भरी नारी दुहुँ दिसि की हँसि हँसि मंगल गाए जू॥