ज्यौंहिं ज्यौंहिं तुम रखत हौं,त्योंहीं त्योंहीं रहियत हौं,हे हरि!
और अपरचै पाय धरौं सुतौं कहौं कौन के पैंड भरि.
जदपि हौं अपनों भायो कियो चाहौं,कैसे करि सकौं जो तुम राखौ पकरि.
कहै हरिदास पिंजरा के जानवर लौं तरफराय रह्यौ उडिबे को कितोऊ करि.
ज्यौंहिं ज्यौंहिं तुम रखत हौं,त्योंहीं त्योंहीं रहियत हौं,हे हरि!
और अपरचै पाय धरौं सुतौं कहौं कौन के पैंड भरि.
जदपि हौं अपनों भायो कियो चाहौं,कैसे करि सकौं जो तुम राखौ पकरि.
कहै हरिदास पिंजरा के जानवर लौं तरफराय रह्यौ उडिबे को कितोऊ करि.