Last modified on 19 मई 2022, at 03:10

टूटती धार / दिनेश कुमार शुक्ल

टूटती धार
काँपती है
बहुत पतली धार
पानी की
हवा में-

कि जैसे भीड़ में
खोई हुई बच्ची
पिता को टेरती हो

कि जैसे अनगिनत
संभावनाएँ
चाहकर भी
फलवती
होने न पायें

टूटती है
एक पतली धार
पानी की
हवा में