गंजापन ढकने को टोपी,
मेरे सिर पर रहती है ।
ठिठुरन से रक्षा करती हूँ ,
बार-बार यह कहती है ।।
देखो अपनी गाँधी टोपी,
सारे जग से न्यारी है ।
आन-बान भारत की है ये,
हमको लगती प्यारी है ।।
लालबहादुर और जवाहर जी ने,
इसको धार लिया ।
भारत का सिंहासन इनको,
टोपी ने उपहार दिया ।।
टोपी पहिन सुभाषचन्द्र,
लाखों में पहचाना जाता ।
टोपी वाले नेता का कद,
ऊँचा है माना जाता ।।
खादी की टोपी, धोती,
कुर्ते, की शान निराली है ।
बिना पढ़े ही ये पण्डित,
का मान दिलाने वाली है ।।
टोपी पहन सलामी,
अपने झण्डे को हम देते हैं ।
राष्ट्र हेतु मर-मिटने का प्रण,
हम खुश होकर लेते है ।।