एक वादा तुमसे रोज कुछ लिखने का तुम्हारे बारे में, अभी भी मुस्तैदी से निभा रहा हूँ। मगर इस बार तहरीरें कागजों पर नहीं दिल के सफहों पे लिख रहा हूँ ...पढ़ सकोगी तुम?