तुझ बिन मुझको
कैसे-कैसे छेडे काली रात
कुटिया पीछे चूड़ी खनकी
दो आवाज़ें साथ
जामुन पर
छम से आ बैठी
कोई पुरानी बात
सूने आँगन “कौन बताओ”
रेशम-रेशम हाथ
नील गगन
बादल के टुकड़े
क्या-क्या रूप बनाएँ
उड़ता आँचल
खुलता जूड़ा
लोरी गाती बाँहें
जलता चूल्हा, भरी कढ़ाई
कनी सजी बरसात