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तुमने भी मेरी जान भला कब किया है इश्क़ / 'महताब' हैदर नक़वी

तुमने भी मेरी जान भला कब किया है इश्क़
हम तो यूँ ही उदास रहे जब किया है इश्क़
 
सबको रहेंगी याद यही खुश-बयानियाँ
मुँह से हमारे फूल झड़े जब किया है इश्क़
 
अब तक तो हमसे लोग किसी काम के न थे
अब काम मिल ,गया है मेरे रब किया है इश्क़
 
पहले तो थीँ हर एक से शिकवे शिकायतें
अब क्यों रहेगा कोई गिला जब किया है इश्क़
 
वाइज़1 को एतराज़ अगर है तो होने दो
पहले नहीं किया था मगर अब किया है इश्क़

1-धर्मोपदेशक