Last modified on 19 मई 2022, at 03:21

तुम्हारा प्रतिविम्ब / दिनेश कुमार शुक्ल

तुम्हारा प्रतिविम्ब
झलका भर
जल में
तुम्हारा प्रतिविम्ब-
कि बज उठे
सरोवर में
जल-तरंग
जल-मृदंग

रात भर
लहरों का रास
चलता रहा

झूमें सारी रात वहाँ
लहरों के
जल-भुजंग जल-कुरंग जल-तुरंग जल-अनंग