दयाराम
जन्म | 1775 |
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निधन | 1853 |
उपनाम | गुजराती नाम દયારામ |
जन्म स्थान | चाणोद, गुजरात, भारत । |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
प्रभोद भावनी,भगवदगीता माहात्म्य,भुजंग प्रयात,अनुभव मंजरी,प्रत्यक्शानुभव,स्वपनानुभव मंजरी। आख्यान रुक्मिणी विवाह,सत्यभामा विवाह,ओखाहरण,श्रीकृष्ण जन्म खंड,पत्र लीला.रस लीला,कमल लीला । | |
विविध | |
हिंदी,मराठी,ब्रज और संस्कृत में भी पद लिखे। ब्रह्म-सत्य और जगत भी सत्य की धारणा में विश्वास। उच्च शास्त्रीय हवेली संगीत के जानकार। पुष्टि संप्रदाय के प्रति दृढ़ आस्थावान। उल्लेखनीय कृति 'रसिक वल्लभ' में केवलाद्वैत सिध्दांत का खंडन तथा शुध्दाव्दैत सिध्दांत का मंडन किया। भक्तियुग की लोकप्रिय विधा है बारमासी। दयाराम ने वालाजी की, रसियाजी की और राधिका विरह की इस तरह तीन बारह-मासियाँ लिखीं। गुजरातियों का नववर्ष कार्तिक प्रथमा से आरंभ होता है, अतः ये बारमासियाँ भी यहीं से आरंभ होती हैं। | |
जीवन परिचय | |
दयाराम / परिचय |