बेशक,
कितने ही ऊँचे उड़ ले
धरती से
नील-गगन में पंछी
पर-
वापस आयेँगे
इसी धरा पर
फिर-फिर कर
क्योंकि-
आकाश
सिर्फ हवाबाजी कराता है
दाना-पानी देती है
सिर्फ यह धरा!
बेशक,
कितने ही ऊँचे उड़ ले
धरती से
नील-गगन में पंछी
पर-
वापस आयेँगे
इसी धरा पर
फिर-फिर कर
क्योंकि-
आकाश
सिर्फ हवाबाजी कराता है
दाना-पानी देती है
सिर्फ यह धरा!