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दास / परिचय

दास का मूल नाम भिखारीदास है। इनका जन्म प्रतापगढ जिले के टयोंगा ग्राम में श्रीवास्तव वंश में हुआ था। ये प्रतापगढ नरेश के भाई हिंदूपतिसिंह के आश्रय में रहे। दास उत्तर-रीतिकाल के श्रेष्ठतम आचार्य हैं। इन्होंने काव्य-शास्त्र पर कई ग्रंथ लिखे जिनमें 'काव्य-निर्णय श्रेष्ठ है। इसमें ध्वनि, अलंकार, तुक और रस आदि का विवेचन है। 'रस-सारांश में नायक-नायिका भेद तथा 'शृंगार-निर्णय में शृंगारिक वर्णन हैं। इनकी कविता कला-पक्ष में संयत तथा भाव-पक्ष में रंजन कारिणी है।