भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दास
Kavita Kosh से
भिखारीदास
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | 1700 |
---|---|
निधन | 1760 |
उपनाम | दास |
जन्म स्थान | टयोंगा, प्रतापगढ, उत्तर प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
रस-सारांश, शृंगार-निर्णय | |
विविध | |
रीतिकाल के कवि | |
जीवन परिचय | |
दास / परिचय |
प्रतिनिधि रचनाएँ
- बादि छवो रस व्यँजन खाइबो बादि नवो रस मिश्रित गाइबो / दास
- लेहु जु लाई हौँ गेह तिहारे परे जेहि नेह सँदेस खरे मैँ / दास
- जोहे जाहि चाँदनी की लागति भली न छवि / दास
- धूरि चढ़ै नभ पौन प्रसँग तें कीच भई जल संगति पाई / दास
- झाँझरियाँ झनकैगीँ खरी खनकैगीँ चुरी तन को तन तोरे / दास
- बार अंध्यारनि मैँ भटक्यो हौँ / दास
- बात चलै की चली जबतेँ तबतेँ चले काम के तीर हजारन / दास
- वाही घरी तें न सान रहै / दास
- नैनन को तरसैए कहाँ लौं / दास
- ऊधो!तहाँई चलि लै हमें / दास
- कढिकै निसंक पैठि जाती झुंड झुंडन में / दास
- अब तो बिहारी के वे बानक गए री / दास
- अँखियाँ हमारी दई मारी सुधि बुधि हारी / दास