Last modified on 16 सितम्बर 2016, at 04:23

वाही घरी तें न सान रहै / दास

वाही घरी तें न सान रहै,न गुमान रहै,न रही सुघराई.
दास न लाज को साज रहै न रहै तनको घरकाज की घाईं.
ह्याँ दिखसाध निवारे रहौ तब ही लौ भटू सब भाँति भलाई.
देखत कान्हें न चेत रहै,नहिं चित्त रहै,न रहै चतुराई.