बादि छवो रस व्यँजन खाइबो बादि नवो रस मिश्रित गाइबो ।
बादि जराय प्रजँक बिछाय प्रसून धने परि पाइ लुटाइबो ।
दासजू बादि जनेस गनेस धनेस फनेस रमेस कहाइबो ।
या जग मे सुखदायक एक मयँकमुखीन को अँक लगाइबो ।
दास का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।