Last modified on 4 नवम्बर 2009, at 15:51

दीवारें / कुंवर नारायण

अब मैं एक छोटे-से घर
और बहुत बड़ी दुनिया में रहता हूँ

कभी मैं एक बहुत बड़े घर
और छोटी-सी दुनिया में रहता था

कम दीवारों से
बड़ा फ़र्क पड़ता है

दीवारें न हों
तो दुनिया से भी बड़ा हो जाता है घर।