सुबह जब अख़बार ने मुझसे कहा
ज़िन्दगी जीना
बहुत दुश्वार है
सरहदें फिर शोर-गुल करने लगीं
ज़ंग लड़ने के लिए
तैयार है
दरमियाँ जो था ख़ुदा अब वो कहाँ
आदमी से आदमी
बेज़ार है
पास आकर एक बच्चे ने कहा
आपके हाथों में जो
अख़बार है
इस में मेले का भी
बाज़ार है
हाथी, घोड़ा, भालू
सब होंगे वहाँ
हाफ डे है आज
कल इतवार है