एक दिन
सूख जाता पानी
आग ठंडी पड़ जाती
हवा तो ठहरती ही क्या
कब की उड़ जाती कहां-कहां!
अन्ततः बची रहती धरती।
अमर हो जाती हैं वस्तुएं
धरती में डूब कर
धरती होकर।
एक दिन
सूख जाता पानी
आग ठंडी पड़ जाती
हवा तो ठहरती ही क्या
कब की उड़ जाती कहां-कहां!
अन्ततः बची रहती धरती।
अमर हो जाती हैं वस्तुएं
धरती में डूब कर
धरती होकर।