(राग देश-तीन ताल)
ध्यानमग्र शुचि शान्त शिव जटा-मुकुट सुविशाल।
चन्द्रमौलि अहि-अक्ष-गल-माल त्रिपुण्ड सुभाल॥
शंकर शुभ कल्याणमय सकल सुमंगल-मूल।
भक्ति विमल दो दयामय! रहो सदा अनुकूल॥
(राग देश-तीन ताल)
ध्यानमग्र शुचि शान्त शिव जटा-मुकुट सुविशाल।
चन्द्रमौलि अहि-अक्ष-गल-माल त्रिपुण्ड सुभाल॥
शंकर शुभ कल्याणमय सकल सुमंगल-मूल।
भक्ति विमल दो दयामय! रहो सदा अनुकूल॥