चितै दृग मीन मलीन कियो,
मद हीन भये गज चाल मराल।
दबी द्युति दन्तन दामिनी ठोढ़ी,
लखे पियरे भये डाल रसाल॥
भुजा छबि त्यों घनप्रेम लखो,
दियो बास उदास कै ताल मृणाल।
लगाय मसी मुख डोलत मंद सो,
चन्द बिलोकत भाल बिसाल॥
चितै दृग मीन मलीन कियो,
मद हीन भये गज चाल मराल।
दबी द्युति दन्तन दामिनी ठोढ़ी,
लखे पियरे भये डाल रसाल॥
भुजा छबि त्यों घनप्रेम लखो,
दियो बास उदास कै ताल मृणाल।
लगाय मसी मुख डोलत मंद सो,
चन्द बिलोकत भाल बिसाल॥