(राग शंकरा-ताल दादरा)
नाचत नटराज रुचिर बाजत डमरू कर।
जटाजूट सोहत सिर भूषन भुजंगधर॥
आसुतोष सदासिव भव रुद्र प्रलयंकर।
देवपति महादेव अखिल विस्वदुःखहर॥
भूतनाथ अंग अंग राजत बिभूति बर।
कामरिपु कामरूप काम-सकल-सिद्धिकर॥
(राग शंकरा-ताल दादरा)
नाचत नटराज रुचिर बाजत डमरू कर।
जटाजूट सोहत सिर भूषन भुजंगधर॥
आसुतोष सदासिव भव रुद्र प्रलयंकर।
देवपति महादेव अखिल विस्वदुःखहर॥
भूतनाथ अंग अंग राजत बिभूति बर।
कामरिपु कामरूप काम-सकल-सिद्धिकर॥