निरभाग चांदड़ी तैयार हुई
घर छोड़ लक्ष्मी बाहर हुई...टेक
खड़े जितने लोग-लुगाई, आँखां मैं आगे आँसू-2
एक तरफ नै ससुरा रोवै, एक तरफ रोवै सासू-2
किसी हा-हाकार हुई...
सास बहू का हाथ पकड़ कै, कूएं के म्हं गेरै ना-2
धिंगताणे तै काढ़ो कित जा, ठोड़ ठिकाणै मेरै ना-2
बिन पति सती लाचार हुई...
आपणी-आपणी गा र्हे सो, मेरी बात रला दी रोले म्हं-2
सास-ससुर नै हांगे तै, दी गेर लक्ष्मी डोले म्हं-2
मेरी क्यूं दुश्मन संसार हुई...
लाखां कैसी बात करै सै, आदमी दो आने आला-2
और किसका जिकर करूं, एक ‘दयाचन्द’ माने आला-2
हर तरह गरीब की मार हुई...