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नींव का पत्थर / वाज़दा ख़ान

सफ़ेद नीला आकाश
कैनवास है तुम्हारा

राग रंग से भरा
विस्मृत होता तमाम कटु
स्मृतियों से
टाँक दो उस पर तुम
अपना भाव प्रवण मन
फिर देखना जो तस्वीर
उपजेगी
वह बनेगी नींव का पत्थर

जिस पर बुनते जाएँगे लोग
ढेरों स्वप्न
उन स्वप्नों की
बुनियाद में तुम्हारी ही
सृजित होगी ज़मीन ।