67
चार्यो भले बेटा देव दसरथ रायके |
जैसे राम-लषन, भरत-रिपुहन तैसे,
सील-सोभा-सागर, प्रभाकर प्रभायके ||
ताड़का सँहारि मख राखे, नीके पाले ब्रत,
कोटि-कोटि भट किये एक एक घायके |
एक बान बेगही उड़ाने जातुधान-जात,
सूखि गये गात हैं, पतौआ भये बायके ||
सिलाछोर छुवत अहल्या भई दिब्यदेह,
गुन पेखे पारसके पङ्करुह पायके |
रामके प्रसाद गुर गौतम खसम भये,
रावरेहु सतानन्द पूत भये मायके ||
प्रेम-परिहास-पोख बचन परसपर
कहत सुनत सुख सब ही सुभायके |
तुलसी सराहैं भाग कौसिक जनकजूके,
बिधिके सुढर होत सुढर सुदायके ||